उज्जैन में चल रही एंटीबायोटिक पर रिसर्च:टेस्ट के बाद दी जाएगी दवा, इससे साइड इफेक्ट भी नहीं होगा

किसी भी मरीज को एंटीबायोटिक देने के पहले डॉक्टर यह जान सकेंगे कि मरीज को बुखार में कौन सी दवा सबसे ज्यादा कारगर है। इसके बाद सही एंटीबायोटिक दे सकेंगे। इससे मरीज को साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। वर्तमान में आमतौर पर एंटीबायोटिक दवा लेने पर उल्टी व दस्त जैसी शिकायतें होने लगती हैं।

इसके लिए उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में 21 सितंबर से रिसर्च शुरू हो गई है। एक साल तक चलने वाली रिसर्च की रिपोर्ट ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) को सौंपी जाएगी। ये रिसर्च केंद्र सरकार की ओर से कराई जा रही है। यह पहला मौका है, जब देशभर में लागू होने वाली जांच और ट्रीटमेंट प्लान की रिसर्च उज्जैन में की जा रही है। ये सितंबर 2022 तक चलेगी। इसमें बुखार के मरीजों के इलाज व कई प्रकार की जांच को शामिल किया है। रिसर्च देश के 4 शहरों में की जा रही है, जिसमें उज्जैन भी शामिल है।

इसलिए जरूरी है

ICMR ने आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को एक ऐप के राइ‌ट्स दिए हैं। इसमें जितने भी मरीजों की जांच होगी, उनका रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है, चूंकि यह रिसर्च देश के 4 शहरों में की जा रही है, इसलिए सभी जगह के डेटा की स्टडी की जाएगी। इस आधार पर पता लगाया जाएगा कि देश में कितने तरह की बैक्टीरियल इंफेक्शन से बुखार आता है। कितने वायरल इंफेक्शन हैं। उन पर कौन सी एंटीबायोटिक दवा कारगर रही। इसके आधार पर बुखार को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक देने की गाइडलाइन तय की जाएगी।

ये लाभ होगा

रिसर्च में शामिल मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशीष पाठक ने बताया कि रिसर्च में पता लगाया जा सकेगा कि किस बुखार के लिए कौन सी जांच जरूरी है। आने वाले दिनों में रिसर्च के रिजल्ट्स से मरीजों को फायदा मिलेगा। उन्हें अलग-अलग जांचें नहीं करवाना होंगी। मरीज में बैक्टीरियल इंफेक्शन व वायरल का पता लगाकर उचित एंटीबायोटिक व दवाइयों का चयन कर बीमारियों का सही इलाज किए जाने वाले टेस्ट पर भी लगाम लगेगी।

किनकी होगी जांचें

6 माह के बच्चे से 60 साल के बुजुर्ग तक की इस दौरान जांच की जाएगी। इन्हें किस प्रकार का बुखार और वायरल है। बुखार का कारण क्या है? बैक्टीरिया से अथवा वायरल से या संक्रमण से। बाजार में यह जांचें काफी महंगी होती हैं। जो यहां मुफ्त में होंगी। एक वर्ष तक चलने वाली रिसर्च में 1600 वयस्क और 1500 बच्चों के टेस्ट होंगे। रिसर्च की रिपोर्ट केंद्र सरकार और ICMR को सौंपी जाएगी। इसके बाद ट्रीटमेंट प्लान तैयार होगा जो देशभर के अस्पतालों में लागू होगा।

ऐसे कर रहे हैं जांच

जिन लोगों को रिसर्च में ले रहे हैं, उनकी 12 से 15 प्रकार की जांचें की जाएंगी। बैक्टीरिया का पता लगते ही उसे सही एंटीबायोटिक दवाई देंगे। छोटे उपकरणों की मदद से रैपिड टेस्ट किए जा रहे हैं। इसमें तत्काल रिपोर्ट सामने आ रही है। मरीज को क्या इलाज दिया जाना है, इसके निष्कर्ष पर पहुंचा जा रहा है।

मेडिकल कॉलेज में कौन कर रहे हैं ये रिसर्च

यह रिसर्च आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग व शिशु रोग विभाग में की जा रही है। यह रिसर्च शिशु रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशीष पाठक, मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशीष शर्मा व पैथालॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मंजू पुरोहित के साथ लैब टेक्नीशियन व सोशल साइंटिस्ट तथा डेटा कलेक्शन के एक्सपर्ट मिलकर कर रहे हैं। इसमें रोजाना 15 मरीजों की जांच की जा रही है।

केंद्र सरकार की पहल पर IMCR और FIND (फाउंडेशन ऑफ न्यू इनोवेशन डायग्नोस्टिक)/ ये रिसर्च करा रही है। यह पहला मौका है जब देश में पहली बार उज्जैन में बैक्टीरियल इंफेक्शन व वायरल पर रिसर्च की जा रही है। इस रिसर्च में दुनिया के 11 देश भाग ले रहे हैं। रिसर्च में आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज उज्जैन के अलावा PIG चंडीगढ़, IMCR कोलकाता और छत्तीसगढ़ के गनियारी अस्पताल में रिसर्च होगा।

एशियाई और अफ्रीकी देशों में रिसर्च

यह रिसर्च मुख्य रूप से एशियाई और अफ्रीका के 11 देशों में हो रही है। एशियाई देशों में भारत सहित नेपाल, थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका, वियतनाम शामिल हैं। जबकि अफ्रीकी देशों में घाना, युगांडा, बर्किना फासो, नाइजिरिया और साउथ अफ्रीका देश शामिल हैं।

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